सायबर लॉ एÛसपटÙऔर सुĵीम कोटÙकेवकɦल पवन ǃÝगल नेकहा ȶक इस तरह का कंīोल सही ȵदशा मǔउठाया गया कदम होगा। उîहǠनेकहा, 'भारत मǔपैरǔट सॉðटवेयर एडॉïशन लेवल काफɦ कम है ÛयǠȶक इसकेबारेमǔलोग अवेयर नहNj हǗ।' उîहǠनेकहा ȶक इस कंīोल का ऑïशन यूजर खुद चुनǔगे। ऐसेमǔइससे ĵाइवेसी को लेकर Ƀचता नहNj होगी। अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
2. कहीं ऑनलाइन खरीदा मोबाइल चोरी का तो नहीं?
साइबर मामलों के जानकार पवन दुग्गल कहते हैं, “बहुत से मामलों में ऑनलाइन विक्रेता पूरा बिल नहीं देते या वादा तो करते हैं लेकिन बिल नहीं भेजते. कई ध्यान भी नहीं देते हैं. लेकिन उपभोक्ताओं को सतर्क रहने की ज़रूरत है.” अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
3. 'ऐशले मैडिसन हैकिंग' भारत से हुई होती तो..
ऑनलाइन डेटिंग वेबसाइट 'ऐशले मैडिसन' का डेटाबेस पिछले दिनों हैक हो गया.
हैकर्स इस वेबसाइट की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगाने में ना केवल कामयाब हुए बल्कि बड़े पैमाने पर डेटा भी वे चुरा पाए.
बाद में हैकर्स और साइबर अपराधियों ने इंटरनेट पर चुराए गए डेटा को सार्वजनिक कर दिया जिससे साइट से जुड़े लोगों में खलबली मच गई थी.
लीक की गई जानकारी में ऐसे सरकारी अफसरों के नाम भी शामिल हैं जिन्होंने सरकारी कंप्यूटर पर इस वेबसाइट को देखा था.
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
4. रोबोट ने की हत्या, ज़िम्मेदार कौन?
साइबर कानून विषेशज्ञ पवन दुग्गल कहते हैं, "अब केवल हार्डवेयर को ही नहीं, सॉफ्टवेयर को भी कटघरे में खड़ा किये जाने की ज़रुरत पड़ेगी."
दुग्गल कहते हैं कि "रोबोटिक्स उभरता हुआ क्षेत्र है इस पर अभी कानून बनने की ज़रुरत है. इस तरह की घटना में कंपनी तो ज़िम्मेदार होती ही है लेकिन स्मार्ट कहे जाने वाले रोबोट की जिम्मेदारी औरों की भी होती है. रोबोट को भी नाक़ाम किया जाना ज़रुरी है."
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
5. जानिए आखिर क्या है ये इनक्रिप्शन
साइबर लॉ विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने कहा कि इससे जो थोड़ी बहुत निजता अस्तित्व में है, वह भी खत्म हो जाएगी। टेक वेबसाइट के संपादक निखिल पाहवा का कहना है कि यूजरों पर 90 दिनों तक मैसेज सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी जटिलताओं को जन्म देगी। ज्यादातर यूजर तो ऐसा करना जानते भी नहीं हैं। मौलिक अधिकारों की कीमत पर सुरक्षा हितों को मजबूत नहीं बनाया जा सकता। इससे कई देशों में काम कर रही कंपनियां कानून के उल्लंघन के दायरे में आ सकती हैं।
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
6. WhatsApp विवाद: सरकार बोली नहीं बनाए नियम, सिर्फ राय मांगी गईसाइबर लॉ विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने कहा कि इससे जो थोड़ी बहुत निजता अस्तित्व में है, वह भी खत्म हो जाएगी। टेक वेबसाइट के संपादक निखिल पाहवा का कहना है कि यूजरों पर 90 दिनों तक मैसेज सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी जटिलताओं को जन्म देगी। ज्यादातर यूजर तो ऐसा करना जानते भी नहीं हैं। मौलिक अधिकारों की कीमत पर सुरक्षा हितों को मजबूत नहीं बनाया जा सकता। इससे कई देशों में काम कर रही कंपनियां कानून के उल्लंघन के दायरे में आ सकती हैं।
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
7. डिजिटल इंडिया कैंपेन पर सवाल: EXPERTS ने कहा-इंटरनेट स्पीड कम, बिजली नहीं
'इंटरनेट फैसिलिटी और साक्षरता की कमी'
-पवन दुग्गल, वरिष्ठ वकील, साइबर एक्सपर्ट
पवन दुग्गल का कहना है कि इंटरनेट फैसिलिटी और लिट्रेसी भारत में एक बड़ी समस्या है। दक्षिण कोरिया की 98 फीसदी आबादी इंटरनेट इस्तेमाल करती है, लेकिन भारत में यह आंकड़ा अभी काफी कम है। इसके अलावा भारत में लोग कम्प्यूटर और टैब से ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन भारत में इंटरनेट की स्पीड और स्मार्टफोन की काफी दिक्कत है जिसपर भारत को ध्यान देने की जरूरत है। इंटरनेट साक्षरता भी भारत में बड़ी समस्या है। भारत की कोशिश है कि देश के दूरदराज में इस तरह के केंद्र बनाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को डिजिटल फैसिलिटी उपलब्ध कराई जाएं।
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
8. आईटी कानून की धारा 66 (ए) का दुरुपयोग रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी
साइबर कानून के जानेमाने वकील पवन दुग्गल ने कहा कि भले ही इस कदम के पीछे अच्छी मंशा हो, लेकिन इससे वांछित लक्ष्य हासिल नहीं होगा क्योंकि यह बारिश के दौरान टपकने वाली छत का बैंडेज से मरम्मत करने जैसा है. उन्होंने कहा कि वांछित परिणाम तभी हासिल होंगे, जब आईटी कानून में संसद के जरिए संशोधन किया जाएगा.
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
9.अब रिलैक्स होकर व्हाट्स एप पर करिए चैट, सरकार नहीं पढ़ेगी आपका कोई मैसेज साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल की मानें तो कई कंपनियां विदेशों में है और वह सरकार के साथ ऐसा कोई भी एग्रीमेंट साइन करने से बचतीं जिनमें उनके यूजर्स की निजता को नुकसान पहुंचता। अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
10. क्यों खतरे में इंटरनेट की आजादी, समझें #NetNeutrality का पूरा मुद्दा ...
साइबर मामलों के विशेषज्ञ पवन दुग्गल बताते हैं कि इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियां अब इंटरनेट पर उपलब्ध कॉन्टेंट से कमाई के रास्ते तलाश रही हैं। यानी इंटरनेट पर आप जो देखते हैं, पढ़ते हैं और खरीदते हैं, उसमें भी इन्हें हिस्सा चाहिए। दूसरी तरफ वाट्स एप, वाइबर जैसी कंपनियां इंटरनेट के जरिए फ्री मैसेज और कॉल की सुविधा दे रही हैं, इन्हें भी टेलीकॉम कंपनियां बंद कराना चाहती हैं।...
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
11. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की सफलता पर उठ रहे हैं सवाल
भारत में इन्टरनेट साक्षरता अधिक नहीं है। एक तरफ जहाँ दक्षिण कोरिया जैसे देश में 98 लोग इन्टरनेट का इस्तेमाल करते हैं उसके मुकाबले भारत काफी पीछे है। दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट में साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं कि भारत में लोग कम्प्यूटर और टैब से ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन अधिकतर लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं है। इससे एम-गवर्नेंस अधिक कैसे सफल हो पायेगा! साथ ही भारत में इन्टरनेट स्पीड बेहद कम है। सरकार को पहले इन समस्याओं का हल निकलना होगा। अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
12. सोशल नेटवर्किंग के जरिये बैंकिंग का स्टेटस ...
साइबर लॉ एÛसपटÙपवन ǃÝगल नेकहा, 'इस बात कɦ पूरी आशंका है ȶक आपकेबǗɂकग डेटा को भारत केबाहर केसवÙर मǔभेजा जाएगा। अȷधकतर सोशल मीȷडया ïलेटफॉóसÙभारतीय कानूनǠ केदायरेसेबाहर हǗ, ȸलहाजा यह एक असुरȹ×त तरीका रहता है।' अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
13. नेट पर कंटेंट डालें लेकिन सोचकर
साइबर मामलǠ केएÛसपटÙपवन ǃ दुग्गल बतातेहǗȶक कोई भी कॉîटǔट जो आपȸȋजनक हैऔर कानूनी तौर पर गलत हैअगर उसेनेट पर डाला जाता हैतो ȶनȹȚत तौर पर ऐसा कॉîटǔट डालनेवाला शÜस और ģपुएडȷमन Ⱥजóमेदार होगा। आपȸȋजनक कॉîटǔट डालनेवालेशÜस और ģपुएडȷमन दोनǠ केȻखलाफ कारÙवाई कɦ जाएगी। अगर ģपु एडȷमȶनûīेटर को इस तरह केआपȸȋजनक कॉîटǔट केबारेमǔजारी दɤ जाती हैऔर उससेȸशकायत कɦ जाती हैतो उसकɦ Ⱥजóमेदारी बनती हैȶक वह तुरंत ऐसेकॉîटǔट को ȴरमूव करे। अगर वह इसमǔलापरवाही करता हैया ȶफर कॉîटǔट नहNj हटाता तो एडȷमन केȻखलाफ भी कारÙवाई होगी।
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
14. 16 साल के लड़के ने हैक की बिलावल भुट्टो की पार्टी की वेबसाइट!
साइबर वकील पवन दुग्गल के अनुसार हैकिंग की ऐसी वारदातों पर आईटी एक्ट की धारा 66 के सेक्शन 43 के तहत कारवाई की जा सकती है. ये पूरा मामला तब शुरू हुआ जब फेसबुक पर पाकिस्तानी हैकरों की तरफ से दावा किया गया कि उन्होंने कई अहम भारतीय वेबसाइटों को हैक कर लिया है. उन्होंने भारतीय अभिनेता मोहनलाल, गायक सोनू निगम, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की वेबसाइट हैक कर ली गई थी. 'ब्लैक ड्रैगन' नाम इस्तेमाल करने वाले इस हैकर ने बताया 'हम लोकप्रिय वेबसाइट हैक करते हैं ताकि तुरंत ये सबकी नजर में आ जाए.
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
15. ऐसा भी होता है... नंबर आपका, कॉल करे कोई और
साइबर लॉ एÛसपटÙपवन ǃÝगल केमुताȶबक, ऐसेऐïस बनानेसेपहलेíयान मǔरखा जाता हैȶक उनसेƷई कॉöस डीटेöस मौजूद न रहेऔर कोई रेकॉडÙभी न बन सके। हालांȶक कॉöस डीटेöस मǔसɎवस ĵोवाइडर मदद कर सकते हǗÛयǠȶक ऐप डाउनलोड मǔखचÙƷए डेटा का रेकॉडÙसɎवस ĵोवाइडर केसवÙर पर रहता है।
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
16.ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए धड़ल्ले से बिक रहे हैं ...
ऑनलाइन होनेवाली गैरकानूनी गȶतȶवȷधयǠ को रोकनेकेȸलए देश मǔकानून बेहद कमजोर हǗ। ऑनलाइन माकǕɁटग को रेगलुेट करनेकेȸलए कोई अलग सेकानून नहNj है। आईटɤ एÛट हैभी तो यह उपभोǻा केअȷधकारǠ केसंर×ण कɦ बात नहNj करता। ऐसेमǔएक बेहतर और मजबूत ĶेमवकÙ कɦ जǂरत है, जो ऑनलाइन बाजार पर ȶनगरानी करे और उसेरेगलुेट करनेमǔस×म हो
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
17. देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा WhatsApp साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल के मुताबिक, 'इन एप्लीकेशन्स के जरिए मेसेज भेजकर या ऑडियो-वीडिया का सहारा लेकर किसी भी तरह की देश विरोधी गतिविधि को अंजाम दिया जा सकता है. और तो और WhatsApp, True Caller, Fring, Viber जैसी दूसरी एप्लीकेशन्स ने एसएमएस की जगह ले ली है. इससे सुरक्षा प्रणाली और कमजोर हो गई है.'
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
18. महंगी पड़ी मोदी पर टिप्पणी, FIR दर्ज
साइबर क़ानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल कहते हैं, "लोग सोचते हैं कि वे सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर सकते हैं और पकड़े नहीं जाएंगे। इसका बुनियादी सबक ये है कि जब भी आप इंटरनेट पर कुछ भी प्रकाशित करते हैं, ट्रांस्मिट करते हैं या प्रकाशन या ट्रांस्मिशन में सहायता प्रदान करते हैं तो आप सावधान हो जाएं कि आपके द्वारा पोस्ट की गई जानकारी झूठी न हो, अश्लील न हो या किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाली न हो। लोगों को क़ानून के प्रावधानों को ध्यान में रखना चाहिए।"
पवन दुग्गल मानते हैं कि भारत का सूचना प्राद्योगिकी क़ानून बहुत पेचीदा है और इंटरनेट पर ज़रा सी लापरवाही किसी भी व्यक्ति को जेल भिजवा सकती है। पवन दुग्गल कहते हैं, "अप्रैल 2011 से भारत में नया सूचना प्राद्योगिकी क़ानून लागू हो गया है जिसके तहत सोशल मीडिया वेबसाइटों, इंटरनेट सर्विस प्रदाताओं और अन्य वेबसाइटों की ज़िम्मेदारी है कि उनके प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल सांप्रदायिक द्वेष, दहशत या शत्रुता फ़ैलाने के लिए न किया जाए और यदि फिर भी कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया जा सकता है।"अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
19. पोर्नोग्राफी: दुनिया देखे मेरा पोर्न
साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल कहते हैं, ''पुलिस को शिकायत आने तक इंतजार करने की क्या जरूरत है. वह ऐसी हरकतों का स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकती है.”
अधिक जानकाद摤慰ुगल कहतेह,畱''प몇ुलस को 몇शकायत आनेतक इतंजार करनेक畣潤 湜㭭या ज潩瑰रत ह.ैवह ऐसी हरकत捥汥 का 屻वत: स硥ंान लकेर कारव牥桮ाई कर सकती ह.ै” री के लिए....
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
20. लव, सेक्स और एमएमएस
साइबर एÛसपटÙपवन ǃÝगल कहतेहǗȶक अȞील एमएमएस या तûवीरǔरखना, ȶकसी को भेजना, ȶकसी सेलेना, इंटरनेट सेडाउनलोड करना, अपलोड करना या ȶफर इîहǔदेखना दंडनीय अपराध है। ȶकसी नेखुद का एमएमएस बनाया हो या ȶकसी और का, यह ġाइम कɦ कैȵटगरी मǔही आएगा। भलेही ȶकसी नेइसेअपनेपसÙनल यूज केȸलए रखा हो। आईटɤ एÛट 2000 केअनुसार, इस तरह कɦ अȞील सामģी रखनेपर धारा 67 केतहत तीन साल तक कɦ सजा और पांच लाख ǁपयेतक का जुमाÙना हो सकता है। अȞील सीडी-डीवीडी रखना, लैपटॉप या पीसी मǔ पोनÙमटɤȴरयल होना या मोबाइल और कैमरेमǔऐसी तûवीरǔया ȶवȷडयो होना भी इसी कैȵटगरी केġाइम मǔआता है।
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
21. वेब ने बना दी जोड़ी
साइबर लॉ एÛसपटÙपवन ǃÝगल का कहना हैȶक बढ़तेमैīɤमोȶनयल धोखेकेबावजूद आईटɤ एÛट 2000 मǔऐसा कोई ĵावधान नहNj हैȶक आप अपनेसाथ धोखा करनेवालेको सजा ȵदला पाए,ंलेȶकन आप आईपीसी कɦ धारा 420, 408 और 406 केतहत सजा ȵदलवा सकतेहǗ। इसमǔजुमाÙनेकेसाथ तीन साल कɦ सजा का ĵावधान है।
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
22. ईमेल से बढ़ाएं मेल, लेकिन जरा बच के साइबर मामलों के जाने माने विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने कहा ईमेल एक डिजिटल सेवा है जिसके इस्तेमाल से एक दूसरे के संपर्क में रहने के अलावा किसी चीज का प्रचार-प्रसार भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ई-मेल के आविष्कार के पीछे मकसद दो या दो से अधिक लोगों के बीच सूचना का तेजी से आदान-प्रदान करना था लेकिन अब इसका गलत इस्तेमाल भी धड़ल्ले से हो रहा है। आगे जानिए क्यों हैं बच कर रहना ज़रूरी?...
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
23. इंटरनेट पर मिली आजादी के मायने
जब सुप्रीम कोर्ट के आईटी एक्ट की धारा 66- ए को खत्म करने का आदेश आया शबाना आजमी ने ट्वीट किया कि 'धारा 66- ए को हटाकर सुप्रीम कोर्ट ने फिर से आश्वस्त किया है कि वह राज्य की स्वेच्छाचारी शक्ति के खिलाफ व्यक्तिगत स्वंतत्रता की रक्षा करता रहेगा। लेकिन इसके साथ ही समझबूझ से खुद पर नियंत्रण रखना भी जरूरी है।'
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
24. सोशल साइट्स पर क्या लिखें, क्या ना लिखें
साइबर एÛसपटÙपवन ǃÝगल बतातेहǗȶक आईटɤ ऐÛट कɦ धारा-66 ए का दायरा काफɦ șापक है। कोई भी ऐसा कॉîटǔट जो कानून के नजर मǔगलत है, वह अगर सोशल साइट या ȶफर नेट केजȴरयेडाला जाता हैतो वह अपराध कɦ Ŀेणी मǔआता हैऔर इसकेȸलए आईटɤ ऐÛट कɦ धारा-66 ए केतहत केस दजÙहो सकता ह
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
साइबर कानून के विशेषज्ञ पवन दुग्गल आइटी एक्ट की धारा 66 ए को काला धब्बा करार देते हैं. उनके शब्दों में, ‘‘इस कानून को ड्राफ्ट करते वक्त मोटे स्तर पर इसकी व्याख्या की गई और इसे परिभाषित करने का विशेषाधिकार पुलिस पर ही छोड़ दिया गया.” वे कहते हैं कि यह कानून खुद में अपना ही मजाक उड़ाने वाला है. पुलिस के हाथ में सब कुछ होने से उसकी अपनी विचारधारा उस कानून की व्याख्या पर हावी हो सकती है.
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
26. सोशल मीडिया पर नियंत्रण के लिए कितना तैयार है भारत? ट्विटर और फेसबुक के लिए भारत एक महत्वपूर्ण बाज़ार है. वो कभी भी नहीं चाहेंगे कि ये बाजार कभी ख़त्म हो या फिर लुप्त हो जाए. लिहाजा जो भारत ने ब्लैकबेरी के साथ किया है अगर उसे इन वेबसाइटों के साथ भी किया जाए तो भारतीय प्रभुता और अखंडता सुरक्षित रह पाएगी" अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे 27. देर ही सही लेकिन उचित कदमलोगों को यह बात समझनी चाहिए कि सार्वजनिक स्थल किसी धर्मविशेष के लिए नहीं होते। उन पर सभी धर्मों के लोगों का समान रूप से अधिकार होता है। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक स्थलों पर पूजास्थल या अन्य स्थल बनाकर अतिक्रमण करने से उनका अपना ही नुकसान होता है। सु प्रीम कोर्ट द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर पूजास्थल का निर्माण न कराने का फैसला लेना उचित है। सार्वजनिक स्थल सरकार की संपत्ति है, लिहाजा बिना सरकार की अनुमति के वहां किसी तरह का निर्माण नहीं होना चाहिए, चाहे वह पूजास्थल ही क्यों न हों। सार्वजनिक स्थलों पर गैर-कानूनी तरीके पूजास्थल बनाने को किसी भी लिहाज से सही नहीं ठहराया जा सकता है।
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे 28. डिजिटल स्वतंत्रता की ओर यह भविष्य की ओर बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। सोमवार को भारत की टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी यानी ट्राई ने नेट निरपेक्षता पर एक गजट जारी करके स्पष्ट कर दिया कि डाटा सेवाओं के लिए शुल्क में कोई भेदभाव नहीं हो सकेगा। यानी आप डाटा सेवा लेने के बाद कौन-सी सामग्री देख रहे हैं, इसके आधार पर आपसे शुल्क नहीं लिया जा सकेगा। अब कोई भी सेवा प्रदाता ऐसा नहीं कर सकेगा। वह इसके लिए कोई समझौता, कोई व्यवस्था या कोई कांट्रेक्ट भी नहीं कर सकेगा। हालांकि इन नियमों में कुछ अपवाद स्वरूप मामलों में लचीला रुख अपनाया गया है, जहां सेवा प्रदाता अगर चाहे, तो आपातकालीन स्थिति या किसी सार्वजनिक आपातकाल में कम लागत वाली सेवा दे सकता है। अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे 29. बन जाइए एथिकल हैकर! पवन दुग्गल --- ''आज कंपनियों को अपनी आईटी सिक्योरिटी सुनिश्चित करने के लिए अच्छे एथिकल हैकरों जरूरत है। इस फील्ड में प्रवेश के लिए आईटी डिगरी होना जरूरी नहीं, इंटरनेट और हैकिंग टेक्नीक्स में तीव्र इच्छा रखने वाले युवा भी यहां आ सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे 30. मोबाइल की दुनिया पर पहली शानदार उपयोगी किताबः मोबाइल लामोबाईल आज के जीवन का एक अहम् हिस्सा बन गया है पर कोई नहीं जानता कि इसके इस्तेमाल और इसके कौन से पेंच हमें किस बड़ी उलझन में फंसा सकते हैं. लोगों को मोबाइल के इस्तेमाल का तो पता है लेकिन इस से जुड़े कानून के बारे में कोई नहीं जानता.कुछ साल पहले सायबर कानून पर भारत की सबसे पहली किताब लिख चुके मशहूर सायबर ला लेखक और सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील पवन दुग्गल की नयी पुस्तक मोबाइल ला इस दिशा में एक अद्भुत पहल मानी जा सकती है.आज इस पुस्तक का विमोचन किया गया. देल्ही के एसोचेम हाउस में आयोजित एक समारोह में आज इस पुस्तक का विमोचन सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के जस्टिस अल्तमस कबीर ने किया.इस अवसर पर डेल्ही के हाई कोर्ट के कार्यवाहक जस्टिस ए के सिकरी, भारत सरकार के कमुनिकेशन एंड टेक्नौलौजी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एन रवि शंकर भी मौजूद थे.
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे 31. टैक्स रिफंड ई-मेल से बचके रहना साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल के मुताबिक, लोगों को यह पता नहीं होता कि इंटरनेट के जरिये उनकी फाइनैंशल डिटेल्स चुराई जा सकती हैं और इसका गलत फायदा उठाया जा सकता है। सरकारी विभागों के कामकाज के तौर-तरीकों की भी जानकारी लोगों को नहीं होती। अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे 31. अनुकंपा के आधार पर नौकरी की दावेदार विवाहित बेटी भीसंविधान के तीसरे अध्याय के अनुच्छेद १६ में साफ-साफ लिखा है कि जाति धर्म लिंग वर्ग के आधार पर किसी तरह का भेद-भाव नहीं किया जाएगा। लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता के अंतर्गत राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति संबंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी। कानून ने स्त्री-पुरुष के बीच ऐसा कोई भेदभाव नही रखा है। इस फैसले से पहले मेरे ख्याल से इस तरह की कोई मांग आई नहीं थी। शायद सामाजिक सोच की वजह से।
अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे